उसे भूल जा...

कहाँ आ के रुकने थे रास्ते, कहाँ मोड़ था उसे भूल जा
वो जो मिल गया उसे याद रख, जो नहीं मिला, उसे भूल जा

वो तेरे नसीब की बारिशें किसी और छत पे बरस गईं
दिल-ए-बेखबर मेरी बात सुन, उसे भूल जा, उसे भूल जा

किसी आंख में नहीं अश्क-ए-ग़म, तेरे बाद कुछ भी नहीं है कम
तुझे ज़िन्दगी ने भुला दिया, तू भी मुस्करा, उसे भूल जा

न वो आंख ही तेरी आंख थी, न वो ख्वाब ही तेरा ख्वाब था,
दिल-ए-मुन्तजिर तो ये किस लिए तेरा जागना, उसे भूल जा

जो बिसात-ए-जाँ ही उलट गया, वो जो रास्ते से पलट गया..
उसे रोकने से हुसूल क्या, उसे मत बुला, उसे भूल जा

तुझे चाँद बन के मिला था जो, तेरे साहिलों पे खिला था जो,
वो था एक दरिया विसाल का, सो उतर गया, उसे भूल जा…


Aseem Jha

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