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Hindi Urdu Poetry

कभी किसी को मुकम्मल जहाँ नहीं मिलता

कभी किसी को मुकम्मल जहाँ नहीं मिलताकहीं ज़मीन तो कहीं आसमान नहीं मिलता ...

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घर के पास का मैदान...

खाली पड़ा है कुछ दिन से घर के पास का मैदान, कोई मोबाइल बच्चो की गेंद चुरा ले गया... ...

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गर्म हौसले...

रजाईयां नहीं हैं उनके नसीब में... गरीब गर्म हौसले ओढ़कर सो जाते हैं ...

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बारिश मे...

जिनके पास सिर्फ सिक्के थे वो मजे से भीगते रहे..जिनके पास नोटे थे वो छत तलाशते रह गए...!! ...

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बस एक लम्हे का झगड़ा था...

बस एक लम्हे का झगड़ा थादर-ओ-दीवार पे ऐसे छनाके से गिरी आवाज़जैसे काँच गिरता हैहर एक शय में गईउड़ती हुई, चलती हुई, किरचेंनज़र में, बात में, लहजे में,सोच और साँस के अन्दरलहू होना...

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दरवाज़ा खोल दो...

यहाँ हर किसी को दरारों में झाँकने की आदत है,दरवाज़ा खोल दो, कोई पूछने भी नहीं आएगा....! ...

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वो भी क्या दिन थे...

वो भी क्या दिन थे...मम्मी कि गोद और पापा के कंधे... न पैसे की सोच न लाइफ के फंडे... न कल की चिंता न फ्यूचर के सपने... और अब कल की फ़िक्र और...

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उसके हाथ...

जब कभी मैं उसका हाथ पकड़ता तो वो कहती..."तुम्हारे हाथ कितने गरम हैं..."गरम हाथ वफ़ा की निशानी होते हैं।  ये सुन के मैं इतना खुश होता कि सबकुछ भूल जाता था। और आज...

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मैं ये सोचकर उसके दर से उठा था...

मैं ये सोचकर उसके दर से उठा थाकि वो रोक लेगी मना लेगी मुझ कोहवाओं में लहराता आता था दामनकि दामन पकड़ कर बिठा लेगी मुझकोकदम ऐसे अंदाज़ से उठ रहे थेकि आवाज़...

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बरस रहा है उदास पानी...

बरस रहा है उदास पानी... ...

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वो आयी थी क्या?

मैं रोज़गार के सिलसिले मेंकभी-कभी उसके शहर जाता हूं तोगुज़रता हूं उस गली से वो नीम तारीक सी गलीऔर उसी के नुक्कड़ पे उंघता सा पुराना खम्बाउसी के नीचे तमाम शब इंतज़ार करके...

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मोहे पिया के मिलन की आस...

कागा रे कागा रे मोरी इतनी अरज तोसे चुन चुन खइयो मॉस अरजिया रे खाइयों न तू नैना मोरे खइयो न दो नैना मोहे पिया के मिलन की आस... -बाबा शेख़ फरीद.    ...

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मुस्कुराना इसको कहते हैं...

नमक भर कर मेरे ज़ख्मों में तुम क्या मुस्कुराते हो मेरे ज़ख्मों को देखो मुस्कुराना इसको कहते हैं... ...

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जब तक उधार बाकी है...

ज़िन्दगी मौत से मांगी हुई दौलत है 'तरुण'  चैन तब तक कहाँ जब तक उधार बाकी है... ...

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सितारों की कहानी...

हमसे पूछना है तो, सितारों की कहानी पूछो, ख्वाब की बात वो जाने जिन्हें नींद आती है !! ...

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अगर वो पूछ लें हमसे

अगर वो पूछ लें हमसे तुम्हें किस बात का गम है  तो फिर किस बात का गम हो अगर वो पूछ लें हमसे... ...

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उसे भूल जा...

कहाँ आ के रुकने थे रास्ते, कहाँ मोड़ था उसे भूल जावो जो मिल गया उसे याद रख, जो नहीं मिला, उसे भूल जावो तेरे नसीब की बारिशें किसी और छत पे बरस...

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आखरी ख़त...

वो भी शायद रो पड़े वीरान  कागज़ देख कर मैंने उसको आखरी ख़त में लिखा कुछ भी नहीं     वो भी शायद रो पड़े वीरान  कागज़ देख कर मैंने उसको आखरी ख़त...

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